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Monday, June 6, 2011

सियारों की सत्ता

सिंह की मांदों पर आज परचम फहरा रहा है नीले सियारों का
नीली रानी नीला युवराज और सत्ता सियारों की |
सियार दरबारी सियार चोबदार, सियार ही नियम बनाते हैं
इस नियम की यही शर्त है की सब पर नियम लागु होगा
किन्तु जो "हुयां हुयां" कर सके उसको ये माफ़ी होगा |

सिंह शावक बिलख रहे हैं दुग्ध की एक एक बूंदों को,
दुग्ध सिंहनी का सियार पी चुके, अब टुक टुकी लगा के बैठे हैं
सिंह शावक कब दम तोड़ें और वो भी उनका ग्रास बनें |
सियारों के कोलाहल में क्या तुम अपना गर्जन भूल गए
अपना शौर्य ना याद रहा तो क्या शिशुओं का क्रंदन भूल गए |

पड़ोस के सियार भी अब निर्बांध "हुयां हुयां" कर आते हैं
सिंहों की मांदों से उनके शिशु छीन ले जाते हैं |
ये सियार और वो सियार बैठ के गाना गाते हैं
गाने के सुर और ताल ही नियमित बदलते जाते हैं |

इस नीले रंग के आगे कबतक नतमस्तक होगे तुम,
बहुत हो चुकी जग हँसाई कुछ तो होश करो तुम
निशा ढल चुकी, कुहा छंट चुका, अब तो प्रखर उजियाला है
तुम हो, नीली सियार है; और सियार की सेना है |